जुनून बनाम जुल्म: राधिका यादव की प्रेरणादायक लेकिन दर्दनाक कहानी
परिचय:
हरियाणा की एक होनहार टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव का नाम अब सिर्फ खेल की वजह से नहीं, बल्कि एक दिल दहला देने वाले पारिवारिक हत्याकांड के कारण सुर्खियों में है।
एक ऐसी बेटी, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करना चाहती थी — लेकिन उसे उसी के पिता ने गोली मार दी।
यह मामला न सिर्फ घरेलू पाबंदियों और रूढ़िवादी सोच को उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल खड़े करता है कि क्या आज भी बेटियां अपने फैसले खुद नहीं ले सकतीं?
क्या हुआ था उस दिन?
गुरुवार, 10 जुलाई 2025 की सुबह। गुरुग्राम के वजीराबाद स्थित घर से चार गोलियों की आवाज़ आई।
जब राधिका के चाचा कुलदीप यादव ऊपर पहुंचे, तो उन्होंने देखा — राधिका रसोई में खून से लथपथ पड़ी थी।
रिवॉल्वर ड्रॉइंग रूम में पड़ा था। गोली राधिका की पीठ में मारी गई थी।
शूटर कोई बाहरी नहीं, बल्कि खुद उसका पिता दीपक यादव था।
हत्या के पीछे की वजह:
पुलिस जांच में सामने आया कि राधिका अपने पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर टेनिस कोर्ट किराए पर लेकर ट्रेनिंग दे रही थी।
पिता चाहते थे कि बेटी केवल उन्हीं की देखरेख में काम करे या फिर यह काम छोड़े।
लेकिन राधिका ने आज़ादी से अपने करियर को आगे बढ़ाना चुना।
यही बात पिता को नागवार गुज़री और अंततः वही इस हत्या का कारण बनी।
अकेली संघर्ष करती बेटी:
कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि दीपक यादव ने बेटी की एकेडमी के लिए सवा करोड़ रुपये खर्च किए थे।
जबकि पुलिस का कहना है कि राधिका की कोई स्थायी एकेडमी नहीं थी — वो अलग-अलग जगहों पर कोर्ट किराए पर लेकर काम कर रही थी।
बेस्ट फ्रेंड का खुलासा:
इस मामले में अब राधिका की बेस्ट फ्रेंड हिमांशिका सिंह का एक वीडियो सामने आया है।
हिमांशिका के मुताबिक,
“राधिका के घर बहुत पाबंदियाँ थीं। उसके आने-जाने का टाइम फिक्स था।
वो किसी से बात भी करती, तो उसके परिवार वाले मोबाइल चेक करते थे।”
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राधिका की ज़िंदगी कितनी नियंत्रित और दबाव से भरी थी।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राधिका की ज़िंदगी कितनी नियंत्रित और दबाव से भरी थी।
आरोपी पिता की स्थिति:
हत्या के बाद दीपक यादव को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
कोर्ट ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
परिवार वालों से बात करते हुए उसने कहा:
“कन्या को मारकर पाप हो गया है।”
उसके भाई विजय यादव ने बताया कि थाने में उसने खुद पुलिस से कहा
:
“मेरे बयान और FIR ऐसे लिखना कि मुझे फांसी की सज़ा हो।
राधिका का अंतिम संस्कार और समाज की चुप्पी:
राधिका यादव का अंतिम संस्कार 11 जुलाई को किया गया।
एक और दुखद बात यह सामने आई कि परिवार के कई सदस्य उसकी कमाई पर निर्भर थे, और इसी वजह से उसे ताने भी सुनने पड़ते थे।
निष्कर्ष और सवाल:
राधिका यादव की मौत सिर्फ एक हत्या नहीं है —
यह उस मानसिकता का प्रतिबिंब है जो आज भी बेटियों की स्वतंत्रता, फैसलों और सपनों को नियंत्रित करना चाहती है।
क्या एक लड़की का अपने दम पर कुछ करना इतना बड़ा गुनाह है?
क्या कोई पिता सिर्फ इसलिए बेटी की जान ले सकता है कि वो उससे अलग सोचती थी?
क्या समाज अब भी बेटियों को बराबरी का हक देने को तैयार नहीं?
राधिका यादव की कहानी हमें ये सोचने पर मजबूर करती है कि आज भी हमारे समाज में बेटियों की आज़ादी एक अपराध क्यों मानी जाती है।
जब एक लड़की अपने सपनों के लिए संघर्ष करती है, तो उसे समर्थन मिलने की बजाय रोकने की कोशिश की जाती है।
अगर हम वाकई में प्रगति की बात करते हैं, तो हमें अपनी सोच में बदलाव लाना होगा।
बेटियों को भी वही अधिकार मिलना चाहिए जो बेटों को मिलते हैं —
सम्मान, समर्थन और स्वतंत्रता।
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- The Hindu – Crime News यह एक विश्वसनीय राष्ट्रीय समाचार स्रोत है।
- NCW India – National Commission for Women जब आप महिला अधिकार और सुरक्षा की बात करते हैं तो यह एक अच्छा external reference होगा।
- BBC Hindi – India Crime News इंटरनेशनल लेवल का विश्वसनीय सोर्स।
- NDTV – India Crime Section एक प्रमुख न्यूज़ पोर्टल जो नियमित क्राइम अपडेट देता है।